पहला अफेयर: मुहब्बत के पल
पहला अफेयर: मुहब्बत के पल
जो न सोचा कभी, वो कैसे हो गया… न जाने ये प्यार कैसे हो गया…?
आज भी वो दिन नहीं भूलता, जब मेरा तुम से रिश्ता जुड़ा. एक अजनबी कब इतने क़रीब आ गया कि उसने मेरी सारी तन्हाइयों को अपनी यादों के रंग से भर दिया. कभी-कभी सोचती हूं, तो सब कुछ एक सपने जैसा लगता है. हम दोनों एक ही स्कूल में एक ही क्लास में थे, लेकिन तब मैं तुम्हें जानती भी नहीं थी. और आज तुम मेरी ज़िंदगी का अहम् हिस्सा बन गए हो.
आज भी वो दिन नहीं भूलता, जब मेरा तुम से रिश्ता जुड़ा. एक अजनबी कब इतने क़रीब आ गया कि उसने मेरी सारी तन्हाइयों को अपनी यादों के रंग से भर दिया. कभी-कभी सोचती हूं, तो सब कुछ एक सपने जैसा लगता है. हम दोनों एक ही स्कूल में एक ही क्लास में थे, लेकिन तब मैं तुम्हें जानती भी नहीं थी. और आज तुम मेरी ज़िंदगी का अहम् हिस्सा बन गए हो.
कहां तो मैं कभी किसी भी लड़के से बात तक नहीं करती थी. न ही कभी दिल में ऐसे अरमान जागे कि कोई मिले, जिससे प्यार हो, जिसके साथ सारी ज़िंदगी गुज़ार दूं… लेकिन कहते हैं न नसीब ने जो आपके लिए लिख दिया है, वो होकर ही रहता है. तुम न जाने कब चुपके से मेरे दिल में घर कर गए और मेरी आंखों ने भी मुहब्बत के रंगीन सपने बुनने शुरू कर दिए.
तुमसे जुड़ने के बाद तो जैसे पूरा जीवन ही बदल गया. ज़िंदगी में हज़ारों रंग घुल गए. हर चीज़ में प्यार घुल गया था. सोते-जागते बस तुम ही ख़्यालों में रहते थे. पहले जब भी मैं अपने जीवनसाथी के बारे में सोचती थी, तो हमेशा मन में कई तरह के सवाल उठते थे कि न जाने वो कैसा होगा? मुझे समझेगा या नहीं, हमारे विचार मिलेंगे या नहीं… पर तुमसे मिलने के बाद इन तमाम सवालों के जवाब मुझे मिल गए. तुम्हारी बातों से ही यह महसूस हो गया कि तुम्हारी परवरिश बहुत अच्छी हुई है.
एक लड़की की ख़्वाहिश, उसकी ज़रूरतें तुम बख़ूबी समझते हो. तुम लड़कियों को सम्मान देते हो, उन्हें बराबर का दर्जा देते हो. तुम्हारे विचार उतने ही सुंदर हैं, जितना तुम्हारा मन. शुरुआत में कभी-कभी तो डर लगता था कि एक अजनबी पर इतना विश्वास करना ठीक है या नहीं. कहीं मैं ग़लती तो नहीं कर रही, कहीं मेरा विश्वास टूट तो नहीं जाएगा… लेकिन तुमने ऐसा होने नहीं दिया.
यक़ीन ही नहीं होता कि आज पूरे छह साल हो गए हम दोनों को साथ-साथ. तुम एक छोर पर हो और मैं दूसरे छोर पर. डिस्टेंस रिलेशनशिप में रिश्ते और विश्वास बनाए रखना बेहद मुश्किल होता है. ज़रा-सी ग़लतफ़हमी और छोटी-सी भूल से भी रिश्ता टूट सकता है, लेकिन जब दो दिल इस तरह से मिल जाते हैं, जैसे दो बदन एक जान, तो दूर रहकर भी प्यार निभाना मुमकिन है.
तुमसे मिलने का मौक़ा तो कम ही मिल पाता है, लेकिन जब भी मिलते हो तुम्हारी आंखों में बेशुमार प्यार और अपने लिए सम्मान ही नज़र आता है. तुम मेरी ज़िंदगी में आए, तुमसे मुझे प्यार हुआ… इससे ख़ूबसूरत घटना कोई हो ही नहीं सकती. भले ही हम अभी दूर हैं, लेकिन बहुत जल्द हम साथ होंगे… हमेशा के लिए… प्यार के इस रूहानी एहसास से
रू-ब-रू करवाने के लिए शुक्रिया!
रू-ब-रू करवाने के लिए शुक्रिया!