Tuesday, 27 December 2016



मीठी मीठी धूप गुनगुनी मस्त पवन के झोंके
कली कली मुस्कायी है रवि किरणों को छूके

रूत है गुलाबी अलसाया तन लगे खगों का डेरा
चीं चीं चूँ चूँ फुदके कूदे कोई न इनको टोके

ठंडी हवाएँ जब जब छेड़े तन मन सिहरा जाये
धुँआ धुँआ सा लगे गगन भी मीठी धूप को रोके

मौसम रंग बहारों का फूलों के शोख अदाओं का
नरम नरम संदीली महक उड़े दिल पतंग सा होके


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