Wednesday, 21 September 2016

दोस्तो

दोस्तो :- क्या आज से 20 साल बाद यानी 2035 में
मुसलमान भारत में बहुसंख्यक हो जाएंगे और
आबादी में हिंदुओं को पीछे छोड़ देंगे? इस तरह के
सवालों पर गूगल सर्च के बड़े ही विस्फोटक जवाब
मिलते हैं. लेकिन कुछ आंकड़ों का बारीक
मुआयना करने पर एक अलग ही तस्वीर उभरती है.
भारत पर मुस्लिम आबादी विस्फोट के सर्च के
नतीजे बाकायदा हिसाब-किताब के साथ
कहते हैं कि कैसे 2035 तक भारत में मुसलमानों की
आबादी बढ़ कर 92.5 करोड़ हो जाएगी और
हिन्दू आबादी सिर्फ 90.2 करोड़ तक ही पहुंच
पाएगी. 2040 आते-आते हिन्दू त्योहार मनाए
जाने बंद हो जाएंगे, बड़े पैमाने पर धर्मांतरण और
गैर मुस्लिमों का नरसंहार होगा और 2050 तक
पहुंचते-पहुंचते मुसलमान 189 करोड़ से भी ज्यादा
हो जाएंगे और भारत एक मुस्लिम राष्ट्र हो
जाएगा.
पिछले कई बरसों से संघ परिवार की तरफ से देश में
यह दुष्प्रचार चलाया जा रहा है, कभी लुक-
छिपकर, गुमनाम परचों और पैम्फलेटों के जरिए,
कभी तरह-तरह के ब्लॉग और सोशल मीडिया
की पोस्टों के जरिए, तो कभी खुलकर
आधिकारिक रूप से भी. शायद आपको याद
होगा कि अक्तूबर 2013 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक
संघ की कोच्चि में हुई राष्ट्रीय कार्यसमिति
की बैठक के दौरान संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय
होसबाले ने हिंदुओं से खुलकर अपील की थी वह
अपनी आबादी बढ़ाने के लिए कम से कम तीन
बच्चे तो जरूर पैदा करें. हाल में साक्षी महाराज
और साध्वी प्राची तो हिंदुओं से चार-चार
बच्चे पैदा करने की अपील कर चुके हैं. विश्व हिंदू
परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण
तोगड़िया भी पीछे नहीं रहे. इसी जनवरी में
उन्होंने बरेली में विश्व हिंदू परिषद के 50वें
स्थापना दिवस समारोह में कहा कि ‘चार
बच्चों की बात करने पर इतना हंगामा क्यों
खड़ा हो रहा है? जब मुसलमान ज्यादा बच्चे
पैदा करता है तो लोग क्यों चुप रहते हैं. मुसलमान
चार बीवियां और 10 बच्चे पैदा करता है. अगर
दो बच्चों की बात करते हो तो कानून बनाओ.
जो लोग ज्यादा बच्चे पैदा कर रहे हैं उनके
खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए.’
अफवाह मशीनरी तो यूरोप के लोगों को भी
डराने में लगी है कि जैसे मुसलमानों की आबादी
पूरी दुनिया में बढ़ रही है, उसके कारण एक दिन
यूरोप खत्म हो जाएगा
बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य वासुदेवानन्द
सरस्वती तो हिंदुओं के सामने सीधे 10 बच्चे पैदा
करने का आंकड़ा रख दिया है, ताकि हिंदुओं की
जनसंख्या बढ़ती रहे और उनका अस्तित्व खतरे में न
पड़े. तो क्या सचमुच मुसलमान जान-बूझकर अपनी
आबादी बढ़ा रहे हैं, ताकि एक दिन वे भारत में
बहुसंख्यक हो जाएं? क्या सचमुच मुसलमान चार-
चार शादियां करते हैं? क्या मुस्लिम औरतें 10-10
बच्चे पैदा करती हैं? क्या मुसलमानों की
आबादी बढ़ने का यह एक बड़ा कारण है कि वे
बहुविवाह करते हैं? क्या मुसलमान परिवार
नियोजन को बिलकुल नहीं अपनाते और उसे
इस्लाम विरोधी मानते हैं? क्या एक दिन वाकई
मुसलमानों की आबादी इतनी हो जाएगी कि
वह जनसंख्या के मामले में हिंदुओं से ज्यादा हो
जाएंगे और क्या भारत कभी ‘मुस्लिम’ राष्ट्र बन
सकता है? दिलचस्प यह है कि यह भड़काऊ
शिगूफा सिर्फ भारत में ही नहीं छेड़ा जाता,
बल्कि अफवाह मशीनरी तो यूरोप के लोगों
को भी डराने में लगी है कि जिस तरह
मुसलमानों की आबादी पूरी दुनिया में बढ़ रही
है, उसके कारण एक दिन यूरोप खत्म हो जायेगा
और उसकी जगह ‘यूरेबिया’ बन जाएगा? तो
देखते हैं कि इन दावों में कितना दम है?
पहले भारत. जनगणना 2011 की रिपोर्ट सरकारी
तौर पर कुछ दिनों में जारी होनेवाली है. यह
रिपोर्ट तो सालभर पहले ही तैयार हो चुकी
थी लेकिन लोकसभा चुनाव के कारण यूपीए
सरकार ने तब इसे चुनाव तक के लिए रोक दिया
था. सरकार को डर था कि रिपोर्ट के आंकड़ों
के सामने आने से कहीं हिंदुत्ववादी संगठनों को
नए दुष्प्रचार का मौका न मिल जाए और चुनाव
में सरकार के लिए नई मुसीबत खड़ी हो जाए. वैसे
लीक हो कर यह रिपोर्ट तब ही कुछ जगहों पर छप
गई थी. अभी हाल में ही यह ‘लीक’ रिपोर्ट
फिर छपी है. तो 2011 की जनगणना की ‘लीक’
रिपोर्ट के मुताबिक़ देश की आबादी में
मुसलमान 13.4 प्रतिशत से बढ़कर 14.2 प्रतिशत हो
गए हैं और पहली बार हिंदुओं का प्रतिशत 80 से
नीचे चले जाने का अनुमान है. 1961 में मुसलमान
10.7 प्रतिशत थे और हिंदू 83.4 प्रतिशत. 2001 में
मुसलमान बढ़ कर 13.4 प्रतिशत हो गए और हिंदू
घटकर 80.5 प्रतिशत ही रह गये. इसलिए ‘लीक’
रिपोर्ट के मुताबिक़ अगर मुसलमान बढ़कर 14.2
प्रतिशत हो गये हैं तो हिंदुओं की आबादी जरूर
घटकर 80 प्रतिशत से नीचे जा सकती है.
क्या सचमुच मुसलमान जान-बूझकर
अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं, ताकक एक कदन वे
भारत में बहुसंख्यक हो जाएं?

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