महफ़िल मैं हसना तो हमारा मिज़ाज़ बन गया
तन्हाई मैं रोना एक राज़ बन गया
दिल के दर्द को चेहरे से ज़ाहिर ना होने दिया
यही ज़िन्दगी जीने का अंदाज़ बन गया !!!
लफ्ज़ आईने है, मत इन्हें उछाल के चल!
अदब कि रह मिली है तो देखभाल के चल !!
मिली है ज़िन्दगी तुझे इसी मकसद से!
संभाल कूद को , और ओरों को भी संभाल के चल ||
शामे-आलम में तेरी प्यास चली आती है!
लहर ख्वाहिशों की मेरे पास चली आती है!
दर्द की दीवारों से टकराती है जिन्द़गी,
ख्वाबों की तस्वीर बदहवास चली आती है!
आदतन तुमने कर दिये वादे,
आदतन हमनेँ भी ऐतबार किया,
तेरी राहोँ मेँ हर बार रुककर,
हमनेँ अपना ही इंतजार किया
खुशी के लीए हर पल जियेंगे तो खुशी शायद नहीं मिलेंगी।
लेकिन खुश होकर। हर पल जिएंगे तो खुशी जरूर मिलेंगी…
यूं तो ए ज़िन्दगी ते सफर से,
शिकायते बहुत थी…..
मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुँचे,
तो कतारे बहुत थी……
इन आँखों को जब तेरा, दीदार हो जाता है…
………,,..
“दिन कोई भी हो, मेरा त्यौहार हो जाता है.!!
मरकर भी तुझको देखते रहने की हसरत में…
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“आखें भी किसी को अमानत में दे जायेंगे हम.”!!
बक्त से लड़कर जो नसीब बदल दे !
इंसान बही जो अपनी तकदीर बदल |
कल क्या होगा कभी मत सोचो
क्या पता कल वक्त खुद अपनी तस्वीर बदल दे ||
क्या मांगू खुदा से तुम्हें पाने के बाद;
किसका करूँ इंतज़ार तेरे आने के बाद;
क्यों इश्क़ में जान लुटा देते हैं लोग;
मैंने भी यह जाना तुमसे इश्क़ करने के बाद।
उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा..?
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“दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है.”.!!
“अब जुदाई के सफ़र को मेरे आसान करो…,
*तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो…।”
पुछा उसने मुझे कितना प्यार करते हो…
……..,,..
मै चुप रहा यारों, क्योकि मुझे तारो की गिनती नही आती..!!
कोई अच्छा लगे तो उनसे प्यार मत करना;
उनके लिए अपनी नींदे बेकार मत करना;
दो दिन तो आएँगे खुशी से मिलने;
तीसरे दिन कहेंगे इंतज़ार मत करना!
बगैर जिसके एक पल भी गुजारा नही होता,
सितम तो देखिए बस वही शख्स हमारा नही होता !
नज़र अंदाज़ करने की वज़ह क्या है बता भी दो,
मैं वही हूँ जिसे तुम दुनिया से बेहतर बताती थी।
हम तो बिछडे थे तुमको अपना अहसास दिलाने के लिए,
मगर तुमने तो मेरे बिना जीना ही सिख लिया।
होते हैं शायद नफरत में ही पाकींजा रिश्तें,
वरना अब तो तन से लिबास उतारने को लोग मोहब्बत कहते हैं”….!!”
ठहरा था मैं तो भीड़ थी पीछे खड़ी हुई ,चलने लगा तो कोई भी आगे नहीं बचा I
कैसे बताऊँ उनको अपने खुआबों के मंज़र ,जब वह बसा जो दिल मेँ फिर कोई नहीं बसा I
सुबह होते ही जब दुनिया आबाद होती है
आंख खुलते ही आपकी याद होती है
खुशियो के फूल हो आपके आँचल मे
ये मात्र होंठों पे पहली फरियाद होती है |
“उसे गैरों से बात करते देखा तो थोड़ी तकलीफ हुई।
फिर याद आया हम कोनसा उसके अपने थे।”
हृदय को चीर देने वाला ‘दुःख’ तब होता है जब गलती से
कोई फंक्शन मिस हो जाये और
दोस्त आकर कहें भाई कल के फंक्शन में वो भी आई थी…|
जहाँ में कुछ सवाल जिंदगी ने ऐसे भी छोङे है,
जिनका जवाब हमारे पास सिर्फ खामोशी है..
गुनाह कुछ हमसे हो गए यूँ अनजाने में
फूलों का कत्ल कर दिया पत्थरों को मनाने में
जो मुस्कुरा रहा है, उसे दर्द ने पाला होगा…,
जो चल रहा है, उसके पाँव में छाला होगा…,
बिना संघर्ष के इन्सान चमक नहीं सकता, यारों…,
जो जलेगा उसी दिये में तो, उजाला होगा…।
उदास होने के लिए उम्र पड़ी है,
नज़र उठाओ सामने ज़िंदगी खड़ी है,
अपनी हँसी को होंठों से न जाने देना!
क्योंकि हमारी मुस्कुराहट के पीछे दुनिया पड़ी है ||
प्यार की कोई हद होती तो बता देता
तस्वीर-सनम दिल चिर कर दिखा देता
आजमाया होता मुझे इश्क मे एक बार
हंसते हंसते अपनी हस्ती मिटा देता ||
ऐ काश के ऐसी कोई तरकीब होती
तुम सामने होते और तुम्हारी दीद होती
अगर तुम होते मेरी जिंदगी मे तो……
हर रोज मेरी जिंदगी की ईद होती ||
मेरी नगमों को साज़ दे दो
बेसाज़ नगमों को आवाज दे दो
ये ख्वाहिश भी है गुजारिश भी
लिख रहा हूं गजल अल्फाज दे दो
निंद से न हो कभी बेदार आंखें
मेरी आंखो को तुम वो ख्वाब दे दो
तेरी उम्मीद पे बसी है मेरी दुनिया
मुझे उम्र भर का साथ दे दो ||
कुछ इस तरह फ़कीर ने ज़िन्दगी की मिसाल दी,
मुट्ठी में धूल ली और हवा में उछाल दी !
हम इन्सान हमेशा यह चर्चा करते हैं
और सोचते है कि भगवान है यां नही,
लेकिन कभी यह नही सोचा कि
हम इन्सान भी हैं यां नही ||
हर शख्स परिन्दे का हमदर्द नहीं होता दोस्त…!!
बहुत बे दर्द बैठे हैं दुनिया में जाल बिछाने वाले…!!