Tuesday, 8 November 2016

पिता तुल्य बड़ा भाई हुआ,माँ तुल्य भाभी कहलाती है,

पिता तुल्य बड़ा भाई हुआ,माँ तुल्य भाभी कहलाती है,
मेरे देश की ऐसी गाथा,हर दिल धड़कन में समाती है,
झूठ बोलना जहां पाप हुआ,सच रब को जाता है,
वीर सपूतों के देश में जहां अहिंसा कहानी बन जाती है,
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हाथ जोड़ नमन करते ,झुक कर हमें चलना आया है,
प्रेम की हो पूजा ऐसी भागवत गीता पाठ कराया है,
महाभारत का जनम हुआ,जहां विजय धर्म से आती है,
पिता तुल्य बड़ा भाई...........
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माता पिता की सेवा में जहां सरवन से घर त्यागा था,
जिसने त्यागे माता पिता,वो इंसान कितना अभागा था,
जन जन की नीति परायी,रिवाज़ों में बस जाती है,
पिता तुल्य बड़ा भाई...........
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पति की रक्षा में पत्नी ने जहां करवाचौथ मनाया है,
भाई के हाथों में जिसने राखी का बंधन पाया है,
एक औरत की पूजा जहां हर घर में की जाती है,
पिता तुल्य बड़ा भाई हुआ,माँ तुल्य भाभी कहलाती है...


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