Thursday, 10 November 2016

नूरे सहर की सरगम, तुम गीत चाँदनी का
तुमसे हुई है रौशन मेरी जिंदगी की महफिल
दरिया की सरहदें तुम, झीलो की हो ख़ामोशी
तुमसे ही मेरे सजदे तुम बंदगी की महफिल.........

आँखों में उल्फतों के खामोश जैसे साये
जुल्फे तुम्हारी जैसे सावन की है घटायें
माथे पे नूर झलके जैसे के आफ्ताबी
फूलों की शोख़ियो से चेहरा हो ये गुलाबी
गालों पे हुस्न जैसे होंठों से कह रहा हो
तुमसे ही सुर्ख मेरी है सादगी की महफिल़़ .....
नूरे सहर की सरगम, तुम गीत चाँदनी का
तुमसे हुई है रौशन मेरी जिंदगी की महफिल .......

बेबाक कहकशाऐं, तुमसे ही नाज पाती
मौसम की सब अदाऐं रंगी एजाज पाती
उतरे जमीं की खुश्बू सौंधी तेरे बदन में
गुलफाम हो गये तुम कुदरत के हर चमन में
हर ओर महकती है तेरी वफा की खुश्बू
लगता है शुरू तुमसे मेरी आशिकी की महफिल...
नूरे सहर की सरगम, तुम गीत चाँदनी का
तुमसे हुई है रौशन मेरी जिंदगी की महफिल........
दरिया की सरहदें तुम, झीलों की हो खामोशी
तुमसे ही मेरे सजदे, तुम बंदगी की महफिल..........
---------------------------------बेदार सूफ़ी
चित्र साभार

No comments:

Post a Comment

Indian Beautiful

 Indian Beautiful ...