Friday 8 September 2017

ख़ुशमिजाज़ शायरी

ख़ुशमिजाज़ शायरी





जब से गम भुला के आज में जीने लगी हूँ
तब से कुछ ज्यादा ही ख़ुश होने लगी हूँ ..!


पलको में खुशियाँ छुपा के मुस्कुराना न कोई खता है
दोस्त नजरे झुका के यू शर्माना हमारी एक अदा है ..!
  



आँखों में नमी थी और बिटामिन की कमी थी 
जिससे रात भर चैट की वह गर्लफ्रेंड की मम्मी थी ..!!

 ये आँखें, ये झुमके, ये कंगन, उस पर ये नागिन सी ज़ुल्फें मेंरी, 
मैं क़ातिल हूँ मगर दिल से लगा लेने के काबिल हूँ....!!!

 हंसो इतना कि तेरी हंसी पे सारा जमाना रो दे 
रोना इतना कि आँसुओं की बाढ़ में वो सब कुछ खो दे.!



जाने से पहले मेरी कही एक बात याद रखना
न ख़ुद उदास रहना न किसी को उदास रखना ...!
 हर खूबसूरत दिखने वाली चीज़े अच्छी नही होती
क्यूकि दोस्त
बेइमानियस्त वही होती है जहा थोड़ी जगह होती ..!
 सोचा याद न करके थोड़ा तड़पाऊं उनको
किसी और का नाम लेकर जलाऊं उनको
पर चोट लगेगी उनको तो दर्द मुझको ही होगा
अब ये बताओ किस तरह सताऊं उनको.....!

 जो हर पल हँसते रहते हैं
उनके दिल सुनसान समझिए
रोज चुभेंगे काँटे दिल में
फूलों से नुकसान समझिए....!

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