बहनो!..
40के बाद..
ज़िंदगी सही अर्थो में होती
है आबाद....
न तो युवतियों की तरह छेड़ते हैं शोहदे,
न दादियों की तरह मिलते हैं बडे औहदे..
जिधर भी मन हो फिट हो जाते हैं,
अपने जुमले सब जगह हिट हो जाते हैं..
नहीं देता अब घर में कोई ताना,
बुन लिया है हमने अपना ताना बाना..
मायके ससुराल का भी कम हो गया है ढकोसला,
अपना खुद का बन चुका है एक घोंसला..
अब न तो पति ही ताव दिखाते हैं,
न बच्चे ही मम्मियाते हैं..
अपनी मर्जी से दोस्त बनाते हैं,
न तो हम रूठते हैं न किसी को मनाते हैं..
थोडा डाई लगाने में झुंझलाना क्या,
उम्र के सच को झुठलाना क्या..
लाइफ बिगिन्स विद40 अन्ग्रेजी वाले कहते हैं,
हम तो इसे आबाद होना कहते हैं... 😊
40के बाद..
ज़िंदगी सही अर्थो में होती
है आबाद....
न तो युवतियों की तरह छेड़ते हैं शोहदे,
न दादियों की तरह मिलते हैं बडे औहदे..
जिधर भी मन हो फिट हो जाते हैं,
अपने जुमले सब जगह हिट हो जाते हैं..
नहीं देता अब घर में कोई ताना,
बुन लिया है हमने अपना ताना बाना..
मायके ससुराल का भी कम हो गया है ढकोसला,
अपना खुद का बन चुका है एक घोंसला..
अब न तो पति ही ताव दिखाते हैं,
न बच्चे ही मम्मियाते हैं..
अपनी मर्जी से दोस्त बनाते हैं,
न तो हम रूठते हैं न किसी को मनाते हैं..
थोडा डाई लगाने में झुंझलाना क्या,
उम्र के सच को झुठलाना क्या..
लाइफ बिगिन्स विद40 अन्ग्रेजी वाले कहते हैं,
हम तो इसे आबाद होना कहते हैं... 😊
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