#भाभी_माँ..
मोनू को देखने और उसके परिवार से मिलने लड़की वाले होटल में आने वाले थे मोनू ने फोनपर भैया और मंझली भाभी को अच्छे से सारी तैयारी कर लेने के लिए बोला था कडी मेहनत करने के बाद मोनू दिल्ली पुलिस में एक साल से नौकरी कर रहा था मगर उसके फोन से मंझली भाभी और भैया बड़े चिंता में थे क्योंकि भाभी के पास एक अच्छी सी साड़ी और भैया के पास अच्छा से कुर्ता तक न था ..7 साल पहले मंझली भाभी की शादी बेरोजगार भैया से हुई थी।
बड़े भैया को डाक्टरी पढ़ाने में पिताजी की छोटी से जमा पूंजी भी ख़त्म हो गयी थी और डाक्टर बनने के बाद बड़े भैया एक डाक्टरानी से खुद शादी कर लिए बड़ी भाभी ने आर्थिक रूप से कमजोर परिवार देख सबसे उनका रिश्ता तुडवा अपने संग विदेश ले गई फिर मंझले भैया किसी तरह 10वींपास कर शहर मे एक pvt कम्पनी मे नौकरी करली मां बाबूजी को गांव बराबर पैसा भेजते ओर शहर मे कम्पनी से मिले क्वार्टर मे छोटे भाई मोनू को ले आये असल मे उसे पढाकर एक काबिल इंसान बनाने की जिम्मेदारी मंझले भैया भाभी ने ली थी मोनू को शुरू से वो अपना बेटा मानते थे शहर मे गृहस्थी की गाड़ी बड़ी मुश्किल से चल रही थी।
उनका 3 साल का एक छोटा सा बच्चा भी था फिरभी मंझले भैया ने कभी भी उफ्फ तक नहीं की मंझली भाभी ने तो जैसे अपने शौक को बलिदान कर दिया था मोनू की पढ़ाई की खातिर घूमना फिरना और जेवर सोना तो दूर की बात कभी एक नई साड़ी तक कि जिद न की।पढ़ने के लिए घर मे जो एक ही कमरा था वो भी दे देतीं और बच्चे से पढ़ाई में कोई बाधा न हो बच्चे को लेकर पड़ोस में चली जाती।खुद और भैया तो कम दूध वाली फीकी चाय पीते ही अपने बच्चे को भी थोड़ा दूध कम देतीं लेकिन मोनू को खाने पीने में कोई कमी न होने देतीं मोनू के बहुत अच्छे रिजल्ट के बाद एक सप्ताह के भीतर ही उसे training के लिए 50 हजार रुपये की जरूरत थी कोई उपाय न सूझ रहा था।
बड़े भैयाको फ़ोन लगाया गया पर पैसे की कोई कमी ना होने के बाद भी बडी भाभी ने पैसे की कमी का रोना शुरू कर दिया तब उसी वक़्त मंझली भाभी ने अपना मंगलसूत्र और शरीर के सारे गहने उतारकर भैया के हाथ में रख दीं और कसम दे दी थी उन्हें आखिर बेटे जैसे देवर की जिंदगी का सवाल था आखिर संघर्ष काम आया मोनू का slc पुलिस विभाग मे हो गया सालभर से वही रहकर नौकरी कर रहा था खत मे बताया था अपनी पसंद की लडकी के बारे मे फोटो भेजी थी कहा था।
आपको और भैया की पसंद पर ही शादी होगी दोनों ने हां कर दी थी मगर ऐसे हालत मे लडकी देखनेकैसे जाए तभी दरवाजे पर मोनू को देखा सबसे पहले भैया के पैर छुए ओर एक पैकेट मे कोट पेंट देते बोला-जरा पहनकर तो बताइए फिर मुन्ना को नया सूट देकर बोला-अबसे तुम मेरे साथ रहोगे तुमहारी पढाई की पूरी जिम्मेदारी मेरी अंत मे मंझली भाभी को गिरवी पडे छुडाए गहने ओर नए कुछ गहनों सहित एक खूबसूरत साडी देते बोला-सब देवी मां की पूजा करते है मगर उन्हें देखने का सौभाग्य सिर्फ मुझे मिला भाभी मां ..भैया भाभी सबकी आँखों मे खुशी के आँसू थे ...
मोनू को देखने और उसके परिवार से मिलने लड़की वाले होटल में आने वाले थे मोनू ने फोनपर भैया और मंझली भाभी को अच्छे से सारी तैयारी कर लेने के लिए बोला था कडी मेहनत करने के बाद मोनू दिल्ली पुलिस में एक साल से नौकरी कर रहा था मगर उसके फोन से मंझली भाभी और भैया बड़े चिंता में थे क्योंकि भाभी के पास एक अच्छी सी साड़ी और भैया के पास अच्छा से कुर्ता तक न था ..7 साल पहले मंझली भाभी की शादी बेरोजगार भैया से हुई थी।
बड़े भैया को डाक्टरी पढ़ाने में पिताजी की छोटी से जमा पूंजी भी ख़त्म हो गयी थी और डाक्टर बनने के बाद बड़े भैया एक डाक्टरानी से खुद शादी कर लिए बड़ी भाभी ने आर्थिक रूप से कमजोर परिवार देख सबसे उनका रिश्ता तुडवा अपने संग विदेश ले गई फिर मंझले भैया किसी तरह 10वींपास कर शहर मे एक pvt कम्पनी मे नौकरी करली मां बाबूजी को गांव बराबर पैसा भेजते ओर शहर मे कम्पनी से मिले क्वार्टर मे छोटे भाई मोनू को ले आये असल मे उसे पढाकर एक काबिल इंसान बनाने की जिम्मेदारी मंझले भैया भाभी ने ली थी मोनू को शुरू से वो अपना बेटा मानते थे शहर मे गृहस्थी की गाड़ी बड़ी मुश्किल से चल रही थी।
उनका 3 साल का एक छोटा सा बच्चा भी था फिरभी मंझले भैया ने कभी भी उफ्फ तक नहीं की मंझली भाभी ने तो जैसे अपने शौक को बलिदान कर दिया था मोनू की पढ़ाई की खातिर घूमना फिरना और जेवर सोना तो दूर की बात कभी एक नई साड़ी तक कि जिद न की।पढ़ने के लिए घर मे जो एक ही कमरा था वो भी दे देतीं और बच्चे से पढ़ाई में कोई बाधा न हो बच्चे को लेकर पड़ोस में चली जाती।खुद और भैया तो कम दूध वाली फीकी चाय पीते ही अपने बच्चे को भी थोड़ा दूध कम देतीं लेकिन मोनू को खाने पीने में कोई कमी न होने देतीं मोनू के बहुत अच्छे रिजल्ट के बाद एक सप्ताह के भीतर ही उसे training के लिए 50 हजार रुपये की जरूरत थी कोई उपाय न सूझ रहा था।
बड़े भैयाको फ़ोन लगाया गया पर पैसे की कोई कमी ना होने के बाद भी बडी भाभी ने पैसे की कमी का रोना शुरू कर दिया तब उसी वक़्त मंझली भाभी ने अपना मंगलसूत्र और शरीर के सारे गहने उतारकर भैया के हाथ में रख दीं और कसम दे दी थी उन्हें आखिर बेटे जैसे देवर की जिंदगी का सवाल था आखिर संघर्ष काम आया मोनू का slc पुलिस विभाग मे हो गया सालभर से वही रहकर नौकरी कर रहा था खत मे बताया था अपनी पसंद की लडकी के बारे मे फोटो भेजी थी कहा था।
आपको और भैया की पसंद पर ही शादी होगी दोनों ने हां कर दी थी मगर ऐसे हालत मे लडकी देखनेकैसे जाए तभी दरवाजे पर मोनू को देखा सबसे पहले भैया के पैर छुए ओर एक पैकेट मे कोट पेंट देते बोला-जरा पहनकर तो बताइए फिर मुन्ना को नया सूट देकर बोला-अबसे तुम मेरे साथ रहोगे तुमहारी पढाई की पूरी जिम्मेदारी मेरी अंत मे मंझली भाभी को गिरवी पडे छुडाए गहने ओर नए कुछ गहनों सहित एक खूबसूरत साडी देते बोला-सब देवी मां की पूजा करते है मगर उन्हें देखने का सौभाग्य सिर्फ मुझे मिला भाभी मां ..भैया भाभी सबकी आँखों मे खुशी के आँसू थे ...
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