ससुराल भी कीमती होता है पर मायका आखिर मायका होता है।
यहाँ मैं मैं होती हूँ,
जिम्मेदारियों का किसे पता होता है।
यहाँ पर जीती हूँ बचपन अपना
अल्हङपन मेरा यहीं तो सदा होता है।
मायका आखिर मायका होता है।।
सरपट नहीं दौङती यहाँ मैं
फुरसत का यहाँ समां होता है।
बेबाक हंसी और नॉन स्टॉप बातें,
बिस्तर पर खाना और बेहिसाब लाड।
ये सब मायके में ही तो होता है।।
मायका आखिर मायका होता है।।
वो रोना माँ की गोद में
वो उनकी आँखो में मेरे लिए परवाह।
थकी हुई मेरी माँ करने नहीं देती मुझे कोई काम,
ये हक भी तो सिर्फ यहाँ होता है।
मायका आखिर मायका होता है।।
भाई से लड़ना और पापा पर बिगड़ना, दिल कितना miss करता है।
कुछ पल ही सही - मैं बेफिक्र बेबाक होती हूँ
मेरी मेहनत का स्वाद तारीफों में सुनायी पड़ता है।
मायका आखिर मायका होता है।।
मेरे शौंकों का ख्याल, साथ देना हर हाल
माँ के चेहरे की थकान से जान पड़ता है।
याद आती हो माँ तुम अकेलेपन में
मन करता है ले आऊँ पापा को अपने पास मैं।
भाई से लड़ना अच्छा था, जिन्दगी से लड़ना बहुत मुश्किल लगता है।।
मायका आखिर मायका होता है।।
यहाँ हर याद को संजो कर रखा जाता है
हमारे बचपन का चश्मा आज भी यहाँ इतराता है।
पहले ग्लास तोड़ने का किस्सा खुशी से सुनाया जाता है।
इन यादों में दिल डूब के खोता है ।।
क्योंकि मायका आखिर मायका होता है।।
आज भी दूध में वो स्वाद नहीं आता जो पापा बनाते थे,
आलू के परांठे तो मैं भी बनाती हूँ पर माँ जैसे कभी बन नहीं पाते।
उस खाने में उनका प्यार जो होता है।।
मायका आखिर मायका होता है।।
आज मैं माँ भी हूँ,
बिटिया को देख कर मेरा दिल हिलोरे लेता है।
पर खुद माँ पापा की बेटी होने का सुख कुछ अलग ही होता है।।
क्योंकि मायका आखिर मायका होता है।।
यहाँ मैं मैं होती हूँ,
जिम्मेदारियों का किसे पता होता है।
यहाँ पर जीती हूँ बचपन अपना
अल्हङपन मेरा यहीं तो सदा होता है।
मायका आखिर मायका होता है।।
सरपट नहीं दौङती यहाँ मैं
फुरसत का यहाँ समां होता है।
बेबाक हंसी और नॉन स्टॉप बातें,
बिस्तर पर खाना और बेहिसाब लाड।
ये सब मायके में ही तो होता है।।
मायका आखिर मायका होता है।।
वो रोना माँ की गोद में
वो उनकी आँखो में मेरे लिए परवाह।
थकी हुई मेरी माँ करने नहीं देती मुझे कोई काम,
ये हक भी तो सिर्फ यहाँ होता है।
मायका आखिर मायका होता है।।
भाई से लड़ना और पापा पर बिगड़ना, दिल कितना miss करता है।
कुछ पल ही सही - मैं बेफिक्र बेबाक होती हूँ
मेरी मेहनत का स्वाद तारीफों में सुनायी पड़ता है।
मायका आखिर मायका होता है।।
मेरे शौंकों का ख्याल, साथ देना हर हाल
माँ के चेहरे की थकान से जान पड़ता है।
याद आती हो माँ तुम अकेलेपन में
मन करता है ले आऊँ पापा को अपने पास मैं।
भाई से लड़ना अच्छा था, जिन्दगी से लड़ना बहुत मुश्किल लगता है।।
मायका आखिर मायका होता है।।
यहाँ हर याद को संजो कर रखा जाता है
हमारे बचपन का चश्मा आज भी यहाँ इतराता है।
पहले ग्लास तोड़ने का किस्सा खुशी से सुनाया जाता है।
इन यादों में दिल डूब के खोता है ।।
क्योंकि मायका आखिर मायका होता है।।
आज भी दूध में वो स्वाद नहीं आता जो पापा बनाते थे,
आलू के परांठे तो मैं भी बनाती हूँ पर माँ जैसे कभी बन नहीं पाते।
उस खाने में उनका प्यार जो होता है।।
मायका आखिर मायका होता है।।
आज मैं माँ भी हूँ,
बिटिया को देख कर मेरा दिल हिलोरे लेता है।
पर खुद माँ पापा की बेटी होने का सुख कुछ अलग ही होता है।।
क्योंकि मायका आखिर मायका होता है।।
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