कभी चातक को देखा है तुमने.....!
नही....!
मैंने भी नही देखा पर नाम बहुत सुना है…!
सुना है पूरे साल प्रतीक्षा करता रहता है
बारिश की.... उन अनमोल बूंदों की..... जो केवल स्वाति नक्षत्र मे ही पड़ती हैं.....
सोचती हूँ...कई बार....उस अनंत प्रतीक्षा....के बारे मे....
उन स्वाति नक्षत्र की बूंदों....के बारे मे......उस निरीह पक्षी के बारे मे.....
उसकी इस असाधारण जिद......के....बारे मे...
ऐसा क्या है उस स्वाति नक्षत्र मे ! पानी तो पानी है.....!
वो क्यों पूरे साल तड़पता है.......उस पीड़ा मे...क्यों प्यासा रहता है...
सिर्फ कुछ पानी की बूंदों के लिए....! और अगर स्वाति नक्षत्र मे बारिश न हो तो....!
प्यासा ही मर जाता है.....!
वो न तो कोई ज्ञानी है, न ही कोई महात्मा ....जिसे ग्रहनक्षत्र की जानकारी हो......
कैसे पहचान जाता है......स्वाति नक्षत्र को.......!
एक छोटा सा दिखाई देने वाला पक्षी, जीवन की सच्चाई की कितनी बड़ी सीख दे जाता है.......
जानते हो… हम सब कुछ जानकार भी अनजान बन जाते हैं
और वो ....जो हर दुनियादारी से कोसो दूर रहता है.........
वो हर तरह से अनजान होकर भी सब कुछ जानता है.....!
उसकी जिद चाहे उसकी जान ही क्यों न ले ले.....
उसकी ये बेमानी सी....बेमतलब सी जिद.... ये पागलपन है ....
या उसकी वफादारी और जीवन के प्रति उसकी सच्चाई है....!
न तो स्वाति नक्षत्र और न ही बारिश की उन बूंदों को अपने अस्तित्व....
अपनी अहमियत...... का एहसास होता है
जो अनजाने मे
चातक उनको अनमोल बनाकर करा जाता है...
नतमस्तक हूँ मै ऐसे पक्षी के प्रति...
जो अपना अस्तित्व विलीन करने की जिद में.....
अपने अस्तित्व का एहसास कराता है.....!!
किसी एक के जाने से दुनिया खत्म नहीं होती ये सच है पर दुनिया के होने से भी उस एक शख्स की कमी पूरी नही होती
ठीक उसी तरह कितनी भी बरसाते,कितनी भी नदिया कितने ही झरनें क्यों ना हो चातक की प्यास तो सिर्फ़ उस स्वाति बून्द से ही बुझती है
पानी के लिए पक्षी का सालभर निर्जला व्रत और....
नई दिल्ली। आपने हिंदू धर्म में महिलाओं को तो निर्जला व्रत करते हुए देखा होगा। इस व्रत में महिलाएं पानी भी नहीं पीती हैं। लेकिन क्या आपने ऐसे पक्षी के बारे में सुना है जो कि सालभर पानी के लिए व्रत रखता है और सिर्फ
स्वाती नक्षत्र में बरसने वाले पानी से ही अपनी प्यास बुझाता है। अगर स्वाती नक्षत्र में पानी नहीं बरसे तो यह पक्षी प्यासा ही रहता है लेकिन पानी नहीं पीता।
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