Thursday 10 November 2016

पानी सी सख्शियत मेरी...
पानी सा ही रुबाब...
पानी सी आदत मेरी...
पानी सा ही खुवाब...!!

पत्थर होता तो कब का...
टूट कर बिखर गया होता...
पानी हूँ छलक कर खुद ही से...
मिल जाना मेरा मिज़ाज...!!

पानी का फुहारा...
पानी का है ज़ोर...
पानी की है प्यास सबको...
पानी की है जरुरत और...!!

पानी सा हूँ मैं शांत...
पानी सा ही करता शोर...
पानी से ही घिरी ये धरती...
देखले अपने चारो ओर...!!

पानी सा हूँ कोमल...
पानी सा ही कठोर...
ले आऊंगा तेरे दिल को...
रेत सा बना कर अपनी ओर...!!!

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