Saturday 10 September 2016

Pyar ka ahsaas

Pyar ka ahsaas
.... घर में घुसते ही बेटे ने कहा - पापा ! माँ की अंगुली कट गयी आज । बहुत खून निकला था । रसोई में देखा तो बीबी रोटियाँ सेंक रही थी । कपड़े उतार कर खूंटी पर टाँगे और मुंह हाथ धोकर पत्नी से बोला - क्या हो गया हाथ को ? - नया चाकू था सो सब्जी काटते हुए अंगूठा कट गया ।
- और फिर भी तुम लगी हुई हो , क्या खाना मैं नहीं बना सकता था ? - तुम भी तो थके हारे आते हो सारा दिन लोहा काट पीट कर और फिर आकर चूल्हे में हाथ जलाओ ये मेरे रहते तो न हो सकेगा । - कमाल करती हो तुम भी , ये गाँव नहीं है , यहाँ तो औरतें पैर तक दबबाती हैं और तुम हो कि मुझे रसोई भी न बनाने दोगी । - बैठो यहाँ , मैं तुम्हें गरम रोटी परोसती हूँ ।

- जैसे ही सब्जी से अंगुली के पोर छूए मुंह से सिसकारी निकल गयी। बेटे को बगल में बैठा कर उसके मुंह में भी निवाले देता गया पति । - लाओ थाली मुझे दे दो । और वह पति की थाली में अपने लिए खाना परोस खाने लगी । तुम आराम करो मैं जरा रसोई सम्हाल लूँ । - खाना खाकर बाहर आओ ।
- क्या हो गया जी ? ऐसे क्यों चिल्ला रहे हो ? पत्नी रसोई से बाहर आते हुए बोली । पति रसोई में घुसा और बर्तन साफ करने लगा । उसके भी हाथों को आज बर्तन धोने में जलन हो रही थी , मगर सारे बर्तन चमका कर ही बाहर निकला । - ये आज अच्छा नहीं किया तुमने , मेरे रहते तुम ने बर्तन साफ किए ...और वह सुबकने लगी L आँसू पोंछने के लिए पति ने जैसे ही चेहरे को छुआ तो हाथों की हालत गालों ने बयान कर दी । हाथों को होंठों से चूमते हुए बोली - कैसे आदमी हो तुम ? दर्द को रोजी बनाए फिरते हो और आज मेरा भी दर्द अपना बना लिया ।
जलन का मीठा एहसास आँखों की चमक और प्यार की मिठास बढ़ा गया था.

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