नशे का करें नाश
नशा कैसा भी हो, बुरा ही होता है। बर्बादी का दूसरा नाम है नशा, इसलिए जरूरी है कि इंसान नशे से दूर रहे और अगर लत लग ही जाए तो पूरी कोशिश कर इसके चंगुल से आजाद हो जाए। ऐसा करना मुश्किल जरूर है।
मानसिक स्थिति को बदल देनेवाले रसायन, जो किसी को नींद या नशे की हालत में ला दे, उन्हें नारकॉटिक्स या ड्रग्स कहा जाता है। मॉर्फिन, कोडेन, मेथाडोन, फेंटाइनाइल आदि इस कैटिगरी में आते हैं। नारकॉटिक्स पाउडर, टैबलेट और इंजेक्शन के रूप में आते हैं। ये दिमाग और आसपास के टिशू को उत्तेजित करते हैं। डॉक्टर कुछ नारकॉटिक्स का इस्तेमाल किसी मरीज को दर्द से राहत दिलाने के लिए करते हैं। लेकिन कुछ लोग इसे मजे के लिए इस्तेमाल करते हैं, जो लत का रूप ले लेता है। नशा करने के लिए लोग आमतौर पर शुरुआत में कफ सिरप और भांग आदि का इस्तेमाल करते हैं और धीरे-धीरे चरस, गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर आदि लेने लगते हैं।
कैसे बनते हैं ड्रग्स
नैचरल नारकॉटिक्स ओपियम पॉपी (अफीम) के कच्चे दानों से तैयार होते हैं। मॉर्फिन, कोडेन और मेथाडोन नैचरल नारकॉटिक्स हैं। मॉर्फिन सल्फेट जैसे सिंथेटिक नारकॉटिक्स का इस्तेमाल डॉक्टर दवा के रूप में करते हैं। मांसपेशियों में असहनीय दर्द होने पर डॉक्टर इसका इंजेक्शन लगाता है। कोडेन में ओपियम पॉपी की मात्रा कम होती है। मेथाडोन में पेन किलर का गुण होता है, इसलिए हेरोइन के अडिक्ट को विकल्प के रूप में इसे दिया जाता है। यह हेरोइन लेने की इच्छा और उसे छोडऩे के बाद होने वाले बुरे असर को खत्म कर देता है।बुरा होता है असर
- ड्रग्स नर्वस सिस्टम को सुस्त कर देते हैं। इनके इस्तेमाल से दर्द और दूसरी समस्याएं जड़ से खत्म नहीं होतीं। बस थोड़े समय के लिए इनसे राहत मिलती है। लेकिन कुछ लोग इनके आदी हो जाते हैं और उन्हें नशे की लत लग जाती है।
- नशे के शिकार आदमी के काम करने की क्षमता कम होती जाती है। नशे के चक्कर में लोग घर-बार बेच डालते हैं और समाज से उनका नाता टूट जाता है। नशे के लिए लोग गैरकानूनी काम कर डालते हैं और जेल भी चले जाते हैं।
- नशे के लिए कई ऐसी चीजों का सेवन करते हैं, जिससे उन्हें कई तरह के इन्फेक्शन हो जाते हैं। इस्तेमाल किया हुआ इंजेक्शन लगाने से एचआईवी, हेपटाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- नारकॉटिक्स एनोनिमस
नशा करने वाले को कैसे पहचानें?
अगर आपका बेटा, बेटी, परिवार का कोई सदस्य या दोस्त नशीली दवाओं सेवन कर रहा हो तो नीचे दिए गए लक्षणों से आप उसकी आदत को पहचान सकते है।- खाने के तौर तरीकों में बदलाव, खासकर भूख ना लगना
- अस्वस्थ्य लगना, लाल आंखें, त्वचा का रंग फीका पडऩा
- सफाई ना रखना - स्नान नहीं करना, बाल नहीं, धोना, दांत साफ नहीं करना
- याददाश्त की कमज़ोरी
- एकाग्रता में कमी
- एक ही जगह पर मन ना लगना
- आक्रामक, हिंसक और चिंतित होना
- धोखा देना, झूठ बोलना, चोरी या जालसाजी करना
- पुराने दोस्तों के साथ वक्त ना बिताना
- दिशा विहीन होना
- आत्मविश्वास की कमी, स्वास्थ्य की फिक्र ना करना
- शरीर की उर्जा की कमी
- नींद में बदलाव
- सिगरेट रोलिंग पेपरऔर रोलिंग व्हील
- बबली या टूटी बोतल का उपरी हिस्सा
- पावडर, गोलियां व पौधे
- ऐश ट्रे या पॉकेट में पाउडर, पत्तियां या बीज
- फ्लेवर्ड तंबाकू