Sunday, 9 October 2016

वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है ,
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है ,
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से ,
तुम्हें ख़ुदा ने ,हमारे लिये बनाया है......!!!

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