Sunday, Septeber 29, 2013हम बुलाते रहे
प्यार का आशियाना है ये
जब तलक चाहो दिल में रहो
प्यार का आशियाना है ये
धडकनों के सिवा कुछ नहीं—
सांस का आना—जाना है ये।
तुम दुआ मांगते भी अगर
ऐसे दिल सारे होते नहीं
है जिन्हें प्यार दिलदार से—
प्रेमियों का ठिकाना है ये।
मैंने जब दिल तुम्हें दे दिया
कौन मुझसा है अब दूसरा
आशिकों के लिये ही फकत—
दिल है फिर भी दीवाना है ये।
ये भी पा जायेगा कुछ सुकुं
बेवफाई में तडफा है ये
आपका प्यार मिल जायेगा—
एक अच्छा बहाना है ये।
प्यार को प्यार मिलता रहा
बेवफाई को ठोकर मिली
इश्क में जो भी मशगूल हैं—
उनको हमको बताना है ये।
सजन घर आ जाओ
तुम धडकन तुम सांस,सजन घर आ जाओ
बढती जाये प्यास सजन घर आ आओ।
तुम बिन सावन में पतझड ना हरियाली
घर आंगन सू ना बाहर खाली — खाली
सूख गई सब घास सजन घर आ जाओ।
बढती जाये प्यास.............
तेरी बांहों में कटती थी दिन — रातें
तुम बिन बीत गई हैं कित नी बरसातें
मनवा हुआ उदास सजन घर आ जाओ।।
बढती जाये प्यास.............
तुम बिन खेतों मे सरसों भी ना फूली
तुम बिन झूला मैं सखियों संग ना झूली
सूना है मधुमास सजन घर आ जाओ।
बढती जाये प्यास.............
जग लगता सूना , सूनी चौपालें हैं
यादों के रिसते दिल में अब छाले हैं
घर लगता वनवास सजन घर आ जाओ।।
बढती जाये प्यास.............
आ जाओ बालक भी तुम्हें बुलाते हैं
तन्हाई से बातें कर सो जाते हैं
कौन बंधाये आस सजन घर आ जाओ।
बढती जाये प्यास.............
आखिर क्या है बात जो हमसे रूठ गये
क्या जन्मों के बंधन सारे टूट गये
कोई नही है पास सजन घर आ जाओ।।
बढती जाये प्यास.............
भाग्य ने देखो कैसे — कैसे जख्म दिये
जहर जुदाई पीकर कैसे कोई जिये
अब ना करो निराश सजन घर आ जाओ।।
बढती जाये प्यास.............
ये नेता भारत को कंगाल ही कर देंगे
ये नेता भारत को कंगाल ही कर देंगे ...ये नेता
ये लूट के धन सारा स्विस बैंक में भर देंगे।
...ये नेता
नही सच बोलते ये, नही पूरा तौलते ये
इनकी जुवान पे यकीन मत कीजिये
भले गिडगिडायें ये मनायें तुम्हें लाख बार
पर भ्रष्ट नेताओं को बोट नहीं दीजिये
वर्ना ये जीत करके तुम्हें बेघर कर देंगे।
...ये नेता
इनसे तो अच्छा आप नाग पाल लीजिएगा
कम से कम पता है ये नाग काट खायेगा
ये तो डस लेंगे तुम्हें चोरी—चोरी चुपके से
कितना भरा है विष पार नही पायेगा
ये अपना बनकर भी दहशत और डर देंगे।
...ये नेता
नेता तो सुभाष जी थे फौज तैयार किये
आजादी के लिये लहू अपना बहाये थे
आज के नेता की तरह लूट—पाट करके वो
दिल नहीं भोली—भाली जनता का दुखाये थे
अबके नेता तुमको ना छत बिस्तर देंगे।
...ये नेता
घोटालों की आदत है जायेगी ये धीरे—धीरे
तभी इस देश में अमन आ पायेगा
सत्ता मे तो घुस गये ऐसे गददार कई
लगता है इनका तो खून बदला जायेगा
वरना तो जीवन भर मतभेद कहर देंगे।
...ये नेता
आचरण है इनका मैला प्रदूषण रहे हैं फैला
तारकोल, रोडी,और सीमेंट सारा खा गये
सडकें,पुल टूट रहे,राहजन लूट रहे
गडडों में ही आज गांव शहर सारे आ गये
बेहतर जो स्वयं नहीं वो क्या बेहतर देगें।
...ये नेता
सीमा पे जवान अपनी जान पे है खेलता जो
उसका ही शीश कटे सह नहीं पायेंगे
जरा सा इशारा गर कर दे ये दिल्ली तो
हम आधे पाक के ही सर काट लायेंगे
हम भी देखें कैसे वापस ना सर देंगे
ये नेता...
आज मतदान करो जिसे भी जिताओ आप
पांच साल आपको नजर नही आयेगा
अधिकार मांगोगे जो आज सरकारों से
या तो गोली खायेगा या फिर जेल जायेगा
जनता के प्रश्नों के वो ना उत्तर देंगे।
...ये नेता
पांचवी शादी हास्य—व्यंग
मैं पांचवी शादी की खुशी में झूम रहा था
बार—बार पत्नी के हाथों को चूम रहा था
तभी अचानक पुलिस आ गई
पुलिस को देख श्रीमति जी घबरा गई
बोली जेठ जी आ गये
दीवान जी आकर मुझको पकड लिया
हथकडी निकाली और जकड लिया
मैं बोला भाई मुझे क्यों पकड रहे हो
बेवजह हथकडी में क्यों जकड रहे हो
दीवान जी बोले तुम्हें लडकी भगाने
के जुर्म में गिरफतार किया जा रहा है
हमारे पास तुम्हारा गिरफतारी वारंट है
मैं बोला होश में तो हो या तुम्हारी बुद्धि शंट है
कल ही तो हमारी शादी
हिन्दू रीति रिवाज से सम्पन्न हुई है
ये अब हमारी धर्म—पत्नी हैं बात बिलकुल सही है
दीवान जी शादी के प्रमाण मांगने लगे
मुझ शरीफ को लडकी भगाने के जुर्म में टांगने लगे
मैं बोला सुबूत दो महीने बाद तुम्हें खुद ही मिल जायेगा
जब सभी अखवारों मे हमारा फोटो आयेगा कि
जख्मीं की बीबी आग की लपटों मे सिमट गई
ऐसी चार घटनाएं पहले घट गई
ये तो मेरी पांचवी बीबी है
बडी परेशान थी ये इसे पैदाइसी टीबी है
एक दिन हम दोनों की आंख लड गई
इसके घरवालों की नजर हम दोनों पे पड गई
लडकी के रिश्ते को लेकर परेशान थे
उन्हें भी कैंसर था दो दिन के मेहमान थे
अपने जीते जी लडकी की शादी करना चाहते थे
मैं एक कवि था इसलिए कह नहीं पाते थे
मैंने खुद ही शादी का प्रस्ताव किया
पत्नी स्वरूप उनकी कन्या का नाम लिया
अगले ही दिन हमारी शादी हो गई
सास तो पहले ही कुंभ के मेले मे खो गई
दो बंगले चार गाडी सबकुछ इसी के नाम है
दो महीने बाद इसका ही काम तमाम है
फिर आग लगेगी और ये भी मर जायेगी
सभी अखवारों मे हमारी फोटो आयेगी
आप सुबूत की फिक्र ना करें
बात सीक्रेट है किसी से जिक्र ना करें
वैसे मैंने छठी शादी के लिये भी लडकी तलाश रक्खी है
जो मिजाज से थोडा शक्की है
जिसका नाम राखी है
चलने फिरने से मोहताज सहारा सिर्फ बैसाखी है
ये लडकी बहुत ही चरित्रवान है
विचारों की बहुत ही महान है
दो महीने पहले एक लडके के साथ भाग रही थी
दीवाली का दिन था दुनियां पटाखे दाग रही थी
भागते—भागते एक गाडी से सठ गई
इसी हादसे मे बेचारी की दोनों टांगे कट गई
ये भी मुझसे शादी के लिये रजामन्द है
इसके अलावा मुझे एक लडकी और पसंद है
जिसका नाम रीना है लाखों मे एक नगीना है
सुराही जैसी गर्दन आंखें कटारी हैं
चार बच्चों की मां लेकिन कुंवारी है
इसके ग्याहरवे आशिक का नाम बिशम्बर है
चार महीने बाद इसका ही नंबर है
मैं दिल मे अब भी कई लडकियों की तस्वीरें उतार रहा हूं
मैं एक कवि हूं इसलिये समाज सुधार रहा हूं
मैं एक कवि हूं इसलिये समाज सुधार रहा हूं
दिल लगाने की बातें करो
आज मौसम गुलाबी हुआ,दिल लगाने की बातें करो
दूरियां ना रहें बीच में पास आने की बातें करो
मस्त पुरवा के झोके चले,गुल से बतला रही तितलियां
तुम भी घूंघट शरम—लाज का,अब उठाने की बातें करो
जानें कब का ये दिल दे दिया,तुमको पहली मुलाकात में
मेहरबां अब तो हो जाईये, अब ना जाने की बातें करो
ये अदा नाजुकी आपकी, जान ले ले ना ये सादगी
खुद को दीवानों की भीड से,अब बचाने की बातें करो
बिन तुम्हारे गुजारा नहीं, और कोई भी प्यारा नहीं
दिल में क्या राज है खोलिये, और बताने की बातें करो
प्यार दीवाना जख्मीं हुआ, आज भा ये ना तन्हाईयां
साथ लेकर नया आशियां, अब बनाने की बातें करो
डा0सुदेश यादव जख्मीं
कवि/पत्रकार
भले ही हमें ना पुकारा
भले ही हमें ना पुकारा करो तुम
मगर अपनें गेंसू संवारा करो तुम।
ये चेहरा खिला है कंवल की तरह
ये निखरा बदन गंगाजल की तरह
ना यूं तीर नजरों के मारा करो तुम।
मगर अपनें गेंसू..............
ये उलझी लटें और ये सादगी
हो जैसे बहारों की ये ताजगी
करीब आओ यूं ना किनारा करो तुम।
मगर अपनें गेंसू..............
तुम्ही चांद तारों की बारात हो
हमें तो खुशी है कि तुम साथ हो
कभी दिल ये रोशन हमारा करो तुम।
मगर अपनें गेंसू..............
अगर तेरे गेसू संवर जायेंगे
घटाओं से बादल बिखर जायेंगे
बरस जायेंगे गर इशारा करो तुम।
मगर अपनें गेंसू..............
ये माना खुदा की हो तस्वीर तुम
मगर जख्मीं की तो हो तकदीर तुम
जिताकर हमें खुद भी हारा करो तुम
मगर अपनें गेंसू..............
अंखियों से अंखियां
अंखियों से अंखियां क्या मिल गई दोस्तो,
उनको भी अपने ख्याल आने लगे हैं
हमने भी तोडी हैं हदें दीवाने पन वाली,
मिलने को हम रात में भी जाने लगे हैं।
नजरों के जब से लडे हैं पेच दोनों ओर,
पुष्पों पे प्रेम के पराग आने लगे हैं
धडकनें ऐसा महसूस करती है हाय,
वो जो नहीं है तो मेरी जान जाने लगे है।
सांस—सांस में घुली है जबसे बताउं कैसे,
अधरों पे उनका ही नाम आने लगा है
नाजुक सा दिल ये चुरा गये हैं जबसे वो,
जिंदगी में प्यार का तूफान आने लगा है।
हमने जो वादे वफा उनसे किये थे कभी,
जान देके अपनी भी उनको निभाएंगे
दामन पे उनके ना दाग आने देंगे हम,
बंधन में सात फेरों के बांध लाएंगे।
आएंगे चमन में वो कलियां खिलेंगी चहूं
तितली अलि भी राग प्रेम का सुनाएंगे,
गेसूओं की छांव में विश्राम करें जख्मी जी,
दामन से अपनी वो बीजना झिलाएंगे।।
सरस्वती वंदना
तेरे चरणों से नहीं दूर मॉं
पग धूल सा तेरा दास है
स्वर दायनी स्वर साधनी—
मधु—स्वर की मुझको तलाश है।
तेरे चरणों से..........
हुई क्या खता ये बता मुझे
स्वर भीख दे ना सता मुझे
मेरे मुख में अम्र्रत घोल दे-
कहे आती—जाती ये सांस है।।
तेरे चरणों से..........
नासमझ सका नासमझ हूं मैं
तेरे हाथ की ही उपज हूं मैं
मैं हूं इक किरण तेरे नूर की—
सारे जग में तेरा प्रकाश है।
तेरे चरणों से..........
नये शब्दों का सागर मिले
करूं वंदना आदर मिले
जख्मीं जहां सुनकर मगन—
हो जाये ये विश्वास।।
तेरे चरणों से..........
डा0सुदेश यादव जख्मीं
कवि/पत्रकार
भगवान भी तुम हो
मेरी जान भी तुम हो मेरी शान भी तुम हो
मेरी जाने तमन्ना और मेरा ईमान भी तुम हो
पुकारूं मैं तुम्हें किस नाम से मुझको बता हमदम—
मेरा महबूब भी तुम हो मेरा भगवान भी तुम हो।
हम वीर बहादुर हैं
हम वीर बहादुर हैं हम तेरे जाये हैं
चरणों मे चढाने को सर अपना लाये हैं
तू गम ना कर माता सीमा पे खडे हैं हम
तू जहां—जहां चाहे फहरा देंगे परचम
तेरी खुशियों का हम संकल्प उठाये हैं।
तेरी गोद में खेले हम घुटनों चल बडे हुये
अब रक्षा की खातिर हथियार ले खडे हुये
संगीन उठाते ही दुश्मन घबराये हैं।
आजाद तुझे करने को वीरों ने दी कुर्बानी
हम उनके अनुयायी जो वीर थे बलिदानी
उन्हें कैसे भुला दें हम आजादी दिलाये हैं।
जांबाज सिपाही हैं गौरव तेरा है मां
तन—मन—धन जो भी है ये सब तेरा है मां
सर अपना हथेली पर हम भी तो उठाये हैं।
भारत माता तेरे है शान तिरंगे की
जां देके भी रखेंगे हम आन तिरंगे की
जख्मीं भारत माता गुण तेरे गाये है।
आजादी दिलाये थे
किये उपकार भरत पर जो आजादी दिलाये थे
सभी वर्गो का था सहयोग मां के काम आये थे
तभी तो खून के बदले में आजादी का नारा था—
ये नारा वीर नेताजी भी खूं देकर लगाये थे।
शत् शत् नमन
जो तिरंगे को उंचा उठाकर गये
दुश्मनों के जो छक्के छुडाकर गये
उन शहीदों को मेरा है शत् शत् नमन
देश पर जान अपनी लुटाकर गये।
आजाद कर गये वो
इस देश के चमन को आबाद कर गये वो
दुश्मन फिरंगियों को बर्बाद कर गये वो
कितनों ने फंदे चूमे कितनो ने खायी गोली—
होकर शहीद हमको आजाद कर गये वो।
आजादी की कहानी।
कुछ इस तरह गुजारी छोटी सी जिन्दगानी
वो जानते थे सारे सारा जहां है फानी
चरणों में सर चढाकर वो तो अमर हुए हैं—
निज खून से लिखे जो आजादी की कहानी।
पश्चिचम का असर
पश्चिचम का असर देखिये जाता ही नहीं है
मक्का की रोटी साग वो खाता ही नहीं है
है आंख पे चश्मा तो मोबाइल है कान पर—
कपडा भी उसको तन पे सुहाता ही नहीं है।
बिखर गए होते
तुम ना मिलते तो मर गए होते
खुद कुशी यार कर गए होते
तूने इस दिल को दिल से जोडा है—
वर्ना कब के बिखर गए होते।
क्यों सता रहे हो
जुल्फों में मस्त गजरे अब क्यों लगा रहे हो
जब छोडकर के हमको तुम दूर जा रहे हो
ये खुशबुओं का मौसम ना जाने कब मिलेगा—
खुशबू लुटा लुटाकर अब क्यों सता रहे हो।
निगाह फेरी है
आज तन्हा हयात मेरी है
चाह इस दिल को सिर्फ तेरी है
दिल ही दुश्मन हुआ है मेरा तो—
जब से तूने निगाह फेरी है।
सावन का महीना
बिजली चमक रही है बादल बरस रहे हैं
पुरवा के मस्त झोंके बांहों में कस रहे हैं
सावन का महीना है क्या काली घटा छायी—
वहां तुम तरस रहे हो यहां हम तरस रहे हैं
चाहत
तुम्हें पाने की चाहत में किसी के हो नहीं पाये
रही दीदार की चाहत अभी तक जो नहीं पाये
हमारी याद में तुम भी कहीं बेचैन रहते हो—
हमें सपनों में आना था मगर तुम सो नहीं पाये।
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