इन 5 महिलाओं के यूनिक आइडिया ने बदल दी लाखों की जिंदगी, जानिए कैसे
आज हम आपको ऐसी 5 महिलाओं के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने अपने यूनिक आइडिया से लाखों लोगों की जिंदगी बदल कर रख दी है। इन महिलाओं ने अपने दम पर ऐसे बिजनेस खड़े किए, जो अपने आप में एक दम से अलग और आम लोगों की जरूरतों को पूरा करने में काफी मददगार हैं। किसी ने सस्ते सैनेटरी नैपकिन तो किसी ने डिजाइनर कपड़ों को रेंट पर देना शुरू किया। आज उनके ये बिजनेस इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना रहे हैं..
सुहानी मोहन, को-फाउंडर और सीईओ, सरल डिजाइन्स
सुहानी मोहन सरल डिजाइन्स की को-फाउंडर और सीईओ है। सरल डिजाइन्स की शुरूआत साल 2015 में हुई थी। उनकी कंपनी करीब 70-80 फीसदी कम रेट पर सैनेटरी नैपकिन बना रही है। सुहानी ने 2011 में आईआईटी मुंबई से ग्रेजुएशन करने के बाद डोएचे बैंक में इन्वेस्टमेंट बैंकर के रुप में अपने कैरियर की शुरूआत की थी। नौकरी के दौरान वह कंपनी की सीएसआर एक्टिविटी में हिस्सा लेती थी। तब उन्हें महिलाओं के हाइजिन को लेकर चौकांने वाले तथ्य मिले जिसके बाद उन्होंने महिलाओं को सस्ता माध्यम उपलब्ध कराने को लेकर सोचा।
अपने माता-पिता के मनाने में दो महीने का समय लगा सोनाली मोहन को
सुहानी मोहन ने moneybhaskar.com को बताया कि पहले उनके माता-पिता उनके बिजनेस आइडिया को लेकर फेवर में नहीं थे। उन्हें अपने माता-पिता को मनाने में करीब दो महीने का समय लगा। मोहन ने बताया कि उन्होंने अपने आईआईटी दोस्तों के साथ मिलकर मशीन बनाई। उनका शुरूआती इन्वेस्टमेंट करीब दो लाख रुपए था। उनकी कॉस्ट अन्य कंपनियों की तुलना में 50 फीसदी कम थी क्योंकि उनका मार्केटिंग, ब्रांडिंग और डिस्ट्रीब्युशन को लेकर खर्च न के बराबर था। उन्होंने आशा ब्रांड से अपने प्रोडक्ट बेचने शुरू किए। जिसकी पहुंच आज देश के 50 गांवों तक हो गई है।
श्रेया मिश्रा, को-फाउंडर और सीईओ, फ्लाईरोब
फ्लाईरोब एक ऐप है, जो किराए पर डिजाइनर आउफिट देता है। श्रेया मिश्रा फ्लाईरोब की को फाउंडर और सीईओ हैं। श्रेया ने साल 2012 में आईआईटी मुंबई से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप में नौकरी शुरू की। उन्होंने मुंबई, वियतनाम, मिस्र और दुबई में भी नौकरी की। साल 2015 में उन्होंने अपना स्टार्ट अप फ्लाईरोब शुरू किया। जो कि ़डिजाइनर कपड़ों को रेंट पर देने की सर्विस देता है। आज उनके कस्टमर न केवल आम लोग हैं, बल्कि सनी लियोन, शमित शेट्टी जैसी बॉलीवुड एक्ट्रेस भी हैं। अभी तक उनके ऐप को 50,000 से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं। फ्लाईरोब ने अभी 53 लाख डॉलर का फंड जुटाया है।
रोली गुप्ता, फाउंडर, ऊर्जन क्लीनटेक
देश में एनर्जी सेक्टर में खुद का बिजनेस करने वाली महिलाओं की नंबर काफी कम है। रोली ने सोलर सेक्टर में ऊर्जन क्लीनटेक कंपनी की साल 2014 में शुरूआत की थी। उनकी कंपनी घर और ऑफिस की छतों पर सोलर पैनल लगाने का काम करती है। रोली गुप्ता ने साल 2000 में आईआईटी मुंबई से ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद उन्होंने मिशिगन यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री भी ली है।
किरन भिवागड़े, फाउंडर और सीईओ, क्रिस्पी गेम्स
जब बच्चे गुड़ियों और गुड्डों के साथ खेलने में बिजी होते हैं, तो तब किरन मारियो, फॉरएवर और काउंटर स्ट्राइक जैसे वीडियो गेम खेलने में बिजी रहती थी। करीब 20 साल बाद वह किरन क्रिस्पी गेम्स की को-फाउंडर बन गई। ये इंडिया की टॉप मोबाइल गेम्स बनानी वाली कंपनी है। किरन ने बी-टेक करने के बाद आईफोन के लिए ऐप डिजाइन भी किया है। किरन की कंपनी के ज्यादातर गेम्स फ्री है लेकिन वह एप्प चिप्स और एडवरटाइजिंग के जरिए पैसा कमाती है। क्रिस्पी गेम्स में 9 गेम्स हैं। ये प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। किरन और उनके को-फाउंडर हर्ष जैन इसे बिलियन डॉलर कंपनी बनाना चाहते हैं।
अभिषा श्रीवास्तव और पूजा दास, को-फाउंडर सैंड बॉक्स
अभिषा श्रीवास्तव और पूजा दास सैंडबॉक्स की को-फाउंडर है। सैंडबॉक्स बच्चों का डे-केयर और लर्निंग सेंटर है। आईआइटी मुंबई से ग्रेजुएशन के दौरान उन्होंने दोस्तों के साथ मिलकर ब्रांड के साथ यूथ मार्केटिंग स्ट्रैटजी बनाने को लेकर वेंचर शुरू किया।अभिषा और पूजा कुछ अलग करना चाहते थे। एकल परिवार में वर्किंग महिलाओं को बच्चों के केयर की जरूरत को देखते हुए सैंड बॉक्स की शुरूआत की।
आज हम आपको ऐसी 5 महिलाओं के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने अपने यूनिक आइडिया से लाखों लोगों की जिंदगी बदल कर रख दी है। इन महिलाओं ने अपने दम पर ऐसे बिजनेस खड़े किए, जो अपने आप में एक दम से अलग और आम लोगों की जरूरतों को पूरा करने में काफी मददगार हैं। किसी ने सस्ते सैनेटरी नैपकिन तो किसी ने डिजाइनर कपड़ों को रेंट पर देना शुरू किया। आज उनके ये बिजनेस इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना रहे हैं..
सुहानी मोहन, को-फाउंडर और सीईओ, सरल डिजाइन्स
सुहानी मोहन सरल डिजाइन्स की को-फाउंडर और सीईओ है। सरल डिजाइन्स की शुरूआत साल 2015 में हुई थी। उनकी कंपनी करीब 70-80 फीसदी कम रेट पर सैनेटरी नैपकिन बना रही है। सुहानी ने 2011 में आईआईटी मुंबई से ग्रेजुएशन करने के बाद डोएचे बैंक में इन्वेस्टमेंट बैंकर के रुप में अपने कैरियर की शुरूआत की थी। नौकरी के दौरान वह कंपनी की सीएसआर एक्टिविटी में हिस्सा लेती थी। तब उन्हें महिलाओं के हाइजिन को लेकर चौकांने वाले तथ्य मिले जिसके बाद उन्होंने महिलाओं को सस्ता माध्यम उपलब्ध कराने को लेकर सोचा।
अपने माता-पिता के मनाने में दो महीने का समय लगा सोनाली मोहन को
सुहानी मोहन ने moneybhaskar.com को बताया कि पहले उनके माता-पिता उनके बिजनेस आइडिया को लेकर फेवर में नहीं थे। उन्हें अपने माता-पिता को मनाने में करीब दो महीने का समय लगा। मोहन ने बताया कि उन्होंने अपने आईआईटी दोस्तों के साथ मिलकर मशीन बनाई। उनका शुरूआती इन्वेस्टमेंट करीब दो लाख रुपए था। उनकी कॉस्ट अन्य कंपनियों की तुलना में 50 फीसदी कम थी क्योंकि उनका मार्केटिंग, ब्रांडिंग और डिस्ट्रीब्युशन को लेकर खर्च न के बराबर था। उन्होंने आशा ब्रांड से अपने प्रोडक्ट बेचने शुरू किए। जिसकी पहुंच आज देश के 50 गांवों तक हो गई है।
श्रेया मिश्रा, को-फाउंडर और सीईओ, फ्लाईरोब
फ्लाईरोब एक ऐप है, जो किराए पर डिजाइनर आउफिट देता है। श्रेया मिश्रा फ्लाईरोब की को फाउंडर और सीईओ हैं। श्रेया ने साल 2012 में आईआईटी मुंबई से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप में नौकरी शुरू की। उन्होंने मुंबई, वियतनाम, मिस्र और दुबई में भी नौकरी की। साल 2015 में उन्होंने अपना स्टार्ट अप फ्लाईरोब शुरू किया। जो कि ़डिजाइनर कपड़ों को रेंट पर देने की सर्विस देता है। आज उनके कस्टमर न केवल आम लोग हैं, बल्कि सनी लियोन, शमित शेट्टी जैसी बॉलीवुड एक्ट्रेस भी हैं। अभी तक उनके ऐप को 50,000 से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं। फ्लाईरोब ने अभी 53 लाख डॉलर का फंड जुटाया है।
रोली गुप्ता, फाउंडर, ऊर्जन क्लीनटेक
देश में एनर्जी सेक्टर में खुद का बिजनेस करने वाली महिलाओं की नंबर काफी कम है। रोली ने सोलर सेक्टर में ऊर्जन क्लीनटेक कंपनी की साल 2014 में शुरूआत की थी। उनकी कंपनी घर और ऑफिस की छतों पर सोलर पैनल लगाने का काम करती है। रोली गुप्ता ने साल 2000 में आईआईटी मुंबई से ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद उन्होंने मिशिगन यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री भी ली है।
किरन भिवागड़े, फाउंडर और सीईओ, क्रिस्पी गेम्स
जब बच्चे गुड़ियों और गुड्डों के साथ खेलने में बिजी होते हैं, तो तब किरन मारियो, फॉरएवर और काउंटर स्ट्राइक जैसे वीडियो गेम खेलने में बिजी रहती थी। करीब 20 साल बाद वह किरन क्रिस्पी गेम्स की को-फाउंडर बन गई। ये इंडिया की टॉप मोबाइल गेम्स बनानी वाली कंपनी है। किरन ने बी-टेक करने के बाद आईफोन के लिए ऐप डिजाइन भी किया है। किरन की कंपनी के ज्यादातर गेम्स फ्री है लेकिन वह एप्प चिप्स और एडवरटाइजिंग के जरिए पैसा कमाती है। क्रिस्पी गेम्स में 9 गेम्स हैं। ये प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। किरन और उनके को-फाउंडर हर्ष जैन इसे बिलियन डॉलर कंपनी बनाना चाहते हैं।
अभिषा श्रीवास्तव और पूजा दास, को-फाउंडर सैंड बॉक्स
अभिषा श्रीवास्तव और पूजा दास सैंडबॉक्स की को-फाउंडर है। सैंडबॉक्स बच्चों का डे-केयर और लर्निंग सेंटर है। आईआइटी मुंबई से ग्रेजुएशन के दौरान उन्होंने दोस्तों के साथ मिलकर ब्रांड के साथ यूथ मार्केटिंग स्ट्रैटजी बनाने को लेकर वेंचर शुरू किया।अभिषा और पूजा कुछ अलग करना चाहते थे। एकल परिवार में वर्किंग महिलाओं को बच्चों के केयर की जरूरत को देखते हुए सैंड बॉक्स की शुरूआत की।
‹
›
10/8/16
5 Photos - View album
13 plus ones
one comment
No comments:
Post a Comment