Sunday, 9 October 2016

CA की नौकरी छोड़कर लंदन से वापिस अपने देश लौटी, अब करती है जैविक खेती

CA की नौकरी छोड़कर लंदन से वापिस अपने देश लौटी, अब करती है जैविक खेती

चंडीगढ़। एक घर में घुसते ही आपका स्वागत भिंडी के पौधे, अमरूद के पेड़ और कमल की लताएं करती हैं। यह घर है मनजोत डोड का जिन्होंने अपने घर को पूरी तरह से ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए समर्पित किया है। लंदन में अकाउंटेंट की नौकरी छोड़ 2009 में भारत आईं मनजोत अपने घर में आर्गेनिक फार्मिंग कर रही हैं। मनजोत बताती हैं कि वे एक हफ्ते में 50 किलो से अधिक सब्जियां उगाती हैं, जिन्हें लोग खरीदने आते हैं। हालांकि, जितनी मेहनत इन्हें उगाने में लगती है उतनी बेच के नहीं मिलती।

फार्मिंग के लिए मनजोत ने शहर से दूर किसी गांव की जमीन को नहीं बल्कि अपने घर को चुना। वो बताती हैं कि ऑर्गेनिक फार्मिंग से इसलिए जुड़ी हूं क्योंकि मिट्टी से मुझे कोई पुराना नाता लगता है। ऑर्गेनिक फार्मिंग से जुड़ने के पीछे एक दुखद घटना भी है। शहर से बीकॉम की पढ़ाई करके लंदन में सीए की तैयारी कर रही थी, साल 2003 में बड़ी बहन की कार एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई, खबर सुनी तो काफी सदमा पहुंचा। लंदन से भारत वापिस आई, सोचा जिंदगी पता नहीं कितने दिन की है, इसलिए वही करो जिससे आपको खुशी मिलती है। वापस लंदन गई और सीए की पढ़ाई के बाद कुछ साल नौकरी भी की। इस दौरान लाइफस्टाइल काफी बिगड़ गया था, जंक फूड ने सेहत पर बुरा असरा डाला और स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियां भी हो गईं।

पांडिचेरी से ऑर्गेनिक फार्मिंग सीखी

2006 में ब्रेक लेकर भारत आई और सोचा कि अब अपनी डाइट पर ध्यान दूं। इसलिए पांडिचेरी के बोटैनिकल गार्डन से ऑर्गेनिक फार्मिंग सीखी। एक साल बाद दोबारा लंदन गई और वहीं अकाउंटेंट के तौर पर कार्य किया। साथ ही, ऑर्गेनिक फार्मिंग से भी जुड़ी रही। कुछ इंस्टीट्यूट से वहां भी फार्मिंग सीखी। साल 2009 में चंडीगढ़ अपने परिवार के पास आई और ऑर्गेनिक फार्मिंग घर पर करनी शुरू की। सेक्टर 18 में हमारे दो घर हैं, एक घर अंडर कंस्ट्रक्शन था उसे ही ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए चुना। 2009 में यह पूरी तरह से खंडहर था, इसकी मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ परत भी खत्म हो गई थी। मैंने पहले इसकी ऊपरी परत को खाद से उपजाऊ बनाया और फिर वहां सब्जियां उगानी शुरू की।

पूरे मोहल्ले से मांगती हूं टूटे पत्ते और फलों के छिलके

घर में उगने वाली सभी सब्जियां ऑर्गेनिक हैं, इसके लिए गोबर, पेड़ों के पत्ते और फलों के छिलके ही खाद के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं। खाद के लिए आस-पड़ोस के सभी लोगों को उनके पेड़ों से गिरने वाले पत्ते और फलों के छिलके मांगती हूं, पड़ोसी के घर जब भी कूड़ा लेने वाला आता है वह पेड़ के पत्तों और फलों के छिलके को मेरे घर में दे जाता है। इसके अलावा घर का वेस्ट मटीरियल जैसे कि खाली बोतलों, टूटी टंकी और दही के डिब्बे तक में पौधे उगाती हूं, ताकि वेस्ट मटीरियल का सही इस्तेमाल कर सकूं।
Photo

No comments:

Post a Comment

Indian Beautiful

 Indian Beautiful ...