प्यार करने की कोशिश में दिन ढल गया
प्यार करने की कोशिश में दिन ढल गया,उनका शरमाना कम ना हुआ क्या करें।
चाहते थे उन्हें लेना आगोश में ,पर ना हमको उन्होंने छुआ क्या करें।।
नाजुकी फूल सी उनके अधरों पे थी, उनके रूखसार दहके थे अंगार से,
वो सुराही सी गर्दन झुकी ही रही ,गुदगुदाये कई मर्तबा प्यार से।
जैसे बचपन में थे शोख, चंचल हसीं, अब नहीं थे वो हमको लगा क्या करें।।
हम समझते रहे मीत बचपन का है, वो दुपट्टे को सानों पे ढकते रहे,
सादगी देखिये, बांकपन देखिये, कनखियों के हवाले से तकते रहे।
गीत बचपन का जब गुनगुनाने लगे, तब कहीं चेहरा उपर किया क्या करें।।
चाह बचपन से थी हम मिलेंगे कभी,उस खुदा ने मिलाया तो हम मिल गये,
जो दिये अब तलक हमको तन्हाई ने,जख्म भी सिल गये फूल भी खिल गये।
जो भी मांगी थी जख्मी ने रब से दुआ,वो कुबूल हो गई है दुआ क्या करें।।
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